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Trending Topic : इस गाँव की महिलाएं बिना कपड़ो के बिताती है पूरी जीवन, कपड़ो में रहने पर है बैन, जानें नाम

क्या आप जानते हैं कि भारत में भी एक गांव है जहां महिलाओं को कपड़े नहीं पहनना चाहिए? दरअसल, बहुत से लोग हिमाचल प्रदेश के पीनी गांव में मनाई जाने वाली इस प्रथा को सुनकर हैरान रह जाते हैं।

 
Trending Topic : इस गाँव की महिलाएं बिना कपड़ो के बिताती है पूरी जीवन, कपड़ो में रहने पर है बैन, जानें नाम 
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भारत की विस्तृत संस्कृति लोगों को खुश करती है। लेकिन कभी-कभी स्थानीय लोगों को एक स्थानीय संस्कृति बहुत अजीब लगती है। सामाजिक मान्यताओं का पालन आज हम इसी जगह की बात कर रहे हैं।

कहाँ हैं ये अलग-अलग गांव?
क्या आप जानते हैं कि भारत में भी एक गांव है जहां महिलाओं को कपड़े नहीं पहनना चाहिए? वास्तव में, हिमाचल प्रदेश के पीनी गांव में मनाई जाने वाली इस प्रथा को सुनकर बहुत से लोग हैरान रह जाते हैं।

इस गांव का नाम खोजने पर आपको पता चलेगा कि यहां एक अजीब क्रिया की जाती है। यहां की महिलाएं पांच दिनों तक बिना कपड़े के रहती हैं। हां, जब हमें इसके बारे में पता चला, हम भी चौंक गए। यह गांव कुल्लू जिले में है और यहाँ कुछ विशिष्ट त्योहार हैं।

यह उत्सव क्या है?
सावन का त्यौहार है। यहां शादीशुदा सभी महिलाएं पांच दिनों तक नग्न रहती हैं। इस उत्सव को 17 अगस्त से 21 अगस्त तक हर साल मनाया जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि देवता इसका पालन नहीं करेंगे।

यह सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पुरुषों के लिए भी है। महिलाओं को कपड़े नहीं पहनने पर पुरुषों को शराब पीना वर्जित है। वहीं, इस समय गांव का कोई भी आदमी मांस नहीं खाता। इस त्यौहार को पूरा गांव बड़े उत्साह से मनाता है।

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इस उत्सव के दौरान, पति-पत्नी एक दूसरे से बात नहीं करते। पति-पत्नी किसी भी तरह की बातचीत नहीं करते हैं। उन दोनों को एक दूसरे से दूर रहना होगा। इस स्थिति में पति अपनी पत्नी को देख भी नहीं सकता। गांव की सभी महिलाएं इस प्रथा में शामिल होती हैं।

क्या होगा अगर इस रिवाज का पालन नहीं किया जाए?
गांव का मानना है कि जो महिला इसे करने से मना करेगी, उसके जीवन में कुछ अशुभ घटित होगा। यही नहीं, उसके घर से भी बुरी खबर मिलेगी।

यह उत्सव लाहुआ घोंड देवता के नाम पर मनाया जाता है।
इस उत्सव को मनाने के पीछे राक्षसों की मान्यता है। इस गांव को बहुत समय पहले राक्षसों ने उजाड़ दिया था। उस समय गांव के अंदर राक्षस आते थे और एक सुंदर पोशाक पहने हुए व्यक्ति को उठा ले जाते थे। ग्रामीणों ने बाद में लाहुआ घोंड देवता की शरण ली।

ये देवता पीनी गांव में आए और लोगों को राक्षसों से बचाया। महिलाओं के कपड़े पहनने की प्रथा बहुत पहले से चली आ रही है। हां, इस प्रथा ने समय के साथ बदलाव देखा है। अब महिलाएं पांच दिनों तक अपने कपड़े नहीं बदलती हैं, बल्कि पट्टू (पतला कपड़ा) पहनती हैं। उन्हें इसे पांच दिनों तक पहनकर भगवान की पूजा करनी होगी।