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Home Loan Rules : घर खरीदने के लिए ये फॉर्मूला आएगा बेहद काम, EMI में नहीं होगी दिक्कत

EMI Calculator : नौकरीपेशा लोगों, खासकर मध्यमवर्गीय लोगों, को हमेशा घर को पूरे प्लानिंग और कैलकुलेशन के साथ खरीदना चाहिए, इससे उनकी मकान की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है और उनका बजट भी सुरक्षित रहता है। यहां खास फॉर्मूला पढ़ें जो सब कुछ सरल बना सकता है।

 
Home Loan Rules : घर खरीदने के लिए ये फॉर्मूला आएगा बेहद काम, EMI में नहीं होगी दिक्कत 
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Haryana Update : हर व्यक्ति एक घर चाहता है, फिर बाकी सब। भारत में घर इमोशनल है। इसलिए कुछ लोगों को नौकरी मिलते ही पहले घर या फ्लैट खरीदना होता है। ये ट्रैंड जोरों पर है, खासकर मेट्रो शहरों में। हाल ही में लोगों को आसानी से होम लोन मिलने के कारण ये तेजी से बढ़ गए हैं। डाउन पेमेंट में बचत को झोंक देते हैं या घरवालों की मदद करते हैं।  
दरअसल, आजकल घर खरीदना चाहिए या नहीं, इस बारे में बहुत चर्चा होती है। क्या किराये पर रहना फायदेमंद है? वास्तव में, घर खरीदने या किराये पर रहने का निर्णय आपकी आय पर निर्भर करता है। जब आप आमदनी और जरूरत के हिसाब से फैसले लेंगे तो आपको वित्तीय विचार करने की आवश्यकता नहीं होगी। 


EMI और सैलरी के बीच समन्वय आवश्यक

पहला प्रश्न है कि कब घर खरीदना चाहिए? इसका सीधा जवाब आपकी सैलरी और घर की संख्या होगा। होम लोन EMI का अधिकतम 20% से 25% आपकी सैलरी का हिस्सा होगा। अगर आपकी महीने की सैलरी 1 लाख रुपये है, तो आप आसानी से 25 हजार रुपये की EMI हर महीने चुका सकते हैं।


लेकिन वित्तीय तौर पर ये निर्णय गलत माना जाएगा अगर एक व्यक्ति होम लोन लेकर घर खरीदता है और उसकी ईएमआई 25 हजार रुपये प्रति महीने आती है, तो उसकी सैलरी 50 से 70 हजार रुपये के बीच है। क्योंकि होम लोन चुकाने में कम से कम दो दशक लग जाते हैं यह सलाह या विचार पूरी तरह गलत है कि घर खरीदना ही नहीं चाहिए। किराये पर रहना अच्छा है। अगर सैलरी का 25 प्रतिशत ही लोन EMI बनता है, तो घर खरीदें। वहीं आप घर खरीद सकते हैं अगर आपकी सैलरी 50 से 70 हजार रुपये के बीच है और घर की ईएमआई 20 हजार रुपये से कम है। यानी 25 लाख रुपये का घर खरीद सकती है। जो दो दशक में २० हजार रुपये से कम होगा।

अगर मासिक आय 1 लाख रुपये से कम है तो फिर..।

लेकिन 50 से 70 हजार रुपये की सैलरी वालों के लिए किराये पर रहना फायदेमंद रहेगा अगर घर की कीमत 30 लाख रुपये से अधिक है। इस दौरान हर महीने बचत पर फोकस करें, और जब आपकी सैलरी एक लाख रुपये तक पहुंच जाए, तो आप घर खरीदने के लिए अधिक डाउन पेमेंट कर सकते हैं। EMI कम होगा जब आप अधिक डाउन पेमेंट करेंगे। वित्तीय तौर पर माना जाता है कि एक लाख रुपये की सैलरी वाले व्यक्ति 30 से 35 लाख रुपये की संपत्ति खरीद सकते हैं। वहीं अगर महीने का वेतन डेढ़ लाख रुपये होता है। ऐसे लोगों के पास 50 लाख रुपये से अधिक का घर बजट होगा। यानी होम लोन EMI केवल सैलरी का 25 प्रतिशत होना चाहिए। 

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करियर विकास पर निर्णय

इसके अलावा, हर व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय लेना चाहिए। क्या आपका काम है? क्या आपका कार्यक्षेत्र है? इस पर निर्णय लेना चाहिए। अगर आप पहले घर लेते हैं, तो आप उस शहर में एक तरह से बंध जाएंगे। नौकरी की शुरुआत में अधिकांश लोग शहर बदलते हैं। लेकिन लोग अपनी पहली नौकरी के साथ ही घर खरीद लेते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि नए शहर में जाकर किराये पर रहना और फिर अपने घर को किराये पर देना उचित नहीं है। साथ ही, अगर आपके पास सेक्योर काम नहीं है, तो जल्दी से घर नहीं खरीदें।


सही स्थान चुनना महत्वपूर्ण है


अगर आपने घर खरीदने का निर्णय लिया है, तो आपको ज़मीन का चयन करना अनिवार्य है। अगर आप फ्लैट खरीदना चाहते हैं, तो उसे एक ऐसे स्थान पर खरीदें जहां रेंट में अच्छी रकम मिलती है। फ्लैट की कीमतों में हर साल कम से कम 8 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। ताकि फ्लैट की कीमत महंगाई के साथ बढ़ती जाए और दो दशक बाद, यानी होम लोन चुकता होने के बाद, फ्लैट की मौजूदा कीमत कम से कम तिगुनी होनी चाहिए बॉयिंग प्राइस से। 


गौरतलब है कि कुछ लोग अपनी पहली नौकरी के साथ ही घर और कार खरीदकर EMI की बोझ डाल लेते हैं, जो अंततः गलत निर्णय है। इसलिए जरूरत के हिसाब से निर्णय करें। वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ सकता है अगर आप अपनी कमाई पर निर्णय लेंगे। यह भी महत्वपूर्ण है कि अगर आप बचाने (saving) की शुरुआत करेंगे तो 40 साल की उम्र में आप अपने रिटायरमेंट को सुरक्षित रूप से ले सकेंगे।