8th Pay Commission : कर्मचारियों की निगाहे है बजट 2024 पर, जानिए क्या होगा बदलाव
Budget 2024 : दस साल पहले सरकार ने कर्मचारियों के फायदे के लिए सातवां भुगतान कमीशन लागू किया था, जिससे उनका काफी लाभ हुआ था. अब कर्मचारी सरकार से आठवां भुगतान कमीशन लागू करने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने कहा कि NPS में सुधार हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने का कोई निर्णय नहीं लिया है। क्या सरकार इसे बजट में घोषित कर सकती है? आइये सरकार की योजना जानें।
Haryana Update : केंद्रीय सरकार में आठवें वेतन कमीशन के गठन और "पुरानी पेंशन" (old pension) की बहाली को लेकर विवाद हुआ है। सरकार और कर्मचारी संगठन एक तरफ हैं। न तो सरकार ने ही कर्मचारियों को भरोसा दिलाया है कि वे सहानुभूति से उनकी मांगों पर विचार करेंगे। उधर, कर्मचारी संगठन भी अपनी मांगों को छोड़ देना नहीं चाहते। केंद्रीय कर्मचारी संगठन हड़ताल की चेतावनी देते हैं।
नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि सरकार से अब कोई बात नहीं होगी और अगर सरकार हमारी मांगें नहीं पूरी करती तो हड़ताल की जाएगी। कुछ लोगों का मानना है कि कर्मचारियों की दोनों मांगों को एक फरवरी को लोकसभा में पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में शामिल किया जा सकता है।
सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन पर क्या कहा?
कुछ लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार ने NPS को बेहतर बनाने के लिए एक कमेटी बनाई है। यह कमेटी आगामी सप्ताह में अपनी रिपोर्ट दे सकती है। इस रिपोर्ट में सिर्फ NPs में सुधार की चर्चा होगी, पुरानी पेंशन बहाली नहीं होगी। केंद्र सरकार ने कई बार खुद ही कहा है कि पुरानी पेंशन की बहाली उसके कार्यक्रम में नहीं है।
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सरकार ने कहा कि आठवें वेतन आयोग (Eighth Pay Commission) की स्थापना पर विचार नहीं हो रहा है। '8वें वेतन आयोग के गठन पर कोई चर्चा नहीं हो रही है,' वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा। सोमनाथन ने कहा कि हमने सभी संबंधित पक्षों से चर्चा की है। रिपोर्ट जल्द ही भेज दी जाएगी। केंद्र सरकार, सूत्रों के अनुसार, एनपीएस में कई बदलाव कर उसे अधिक आकर्षक बना सकती है। नई पेंशन व्यवस्था में कर्मचारियों को 40 से 45 प्रतिशत वेतन बतौर पेंशन मिल सकता है। एनपीएस के इस बदलाव में ओपीएस के तहत मिलने वाले अन्य लाभों को अभी स्पष्ट नहीं किया गया है।
गारंटीकृत "पुरानी पेंशन" की पुनर्स्थापना ही चाहिए
शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि केंद्र सरकार से कई बार ओपीएस लागू करने का अनुरोध किया गया है। यदि सरकार एनपीएस में सुधार चाहती है, तो कर्मचारी इसे नहीं मानेंगे। सरकारी कर्मचारियों को बिना गारंटी वाली 'एनपीएस' योजना को खत्म करने और परिभाषित और गारंटी वाली 'पुरानी पेंशन योजना' को फिर से शुरू करने से कम कुछ भी नहीं मिलेगा। पुरानी पेंशन को लेकर रामलीला मैदान में कई रैलियां हुई हैं। केंद्रीय और राज्य सरकारों के लाखों कर्मचारियों ने इनमें भाग लिया था। यह सब होने पर भी केंद्रीय सरकार ने कर्मचारियों की इस मांग को नहीं देखा। सरकारी कर्मियों का धैर्य अब देश में पुरानी पेंशन की बहाली की मांग पर जवाब देता जा रहा है। केंद्र सरकार को चेताने के लिए आठ जनवरी से 11 जनवरी तक कर्मचारियों ने 'रिले हंगर स्ट्राइक' की है। जल्द ही सभी कर्मचारी संघों की बैठक बुलाई जाएगी। यह अनिश्चितकालीन हड़ताल की तिथि निर्धारित करेगा। हड़ताल की स्थिति में ट्रेनें और बसें नहीं चलेंगे। राज्य और केंद्र सरकारों के कार्यालयों में कलम नहीं चलेगी।
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कर्मचारियों की सहमति
AIDF के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले 'पुरानी पेंशन' नहीं लागू की जाएगी, तो भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। यह संख्या कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर दस करोड़ से अधिक है। चुनाव में महत्वपूर्ण परिवर्तन होने के लिए यह संख्या महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि कर्मचारी संगठन अब विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क करेंगे। यदि वे कर्मचारियों की मांगों को मानते हैं, तो दस करोड़ वोटों का समर्थन उस राजनीतिक दल को मिल सकता है। रेलवे और रक्षा (सिविल) देश के दो सबसे बड़े कर्मचारी संगठन हैं, जो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सहमत हैं।
स्ट्राइक बैलेट में रेलवे के 11 लाख कर्मचारियों में से 96 फीसदी ओपीएस लागू नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को तैयार हैं। इसके अलावा, चार लाख सिविल रक्षा कर्मियों में से 97 फीसदी हड़ताल पर हैं। शिवगोपाल मिश्रा ने जंतर मंतर पर 'रिले हंगर स्ट्राइक' का समापन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अब अड़ियल तरीके से काम कर रही है। धरना अब नहीं होगा। हड़ताल करेंगे। सरकार को 1974 की रेल हड़ताल का स्मरण करना चाहिए। तब उन्हें मुंह की खानी पड़ी।