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Pollution: Delhi को नही मिलेगी प्रदुषण से राहत, 4-5 साल पंजाब में पराली जलाने से बनी रहेगी समस्या

Pollution May Increase Due to Stubble Burning: पंजाब में धान(Paddy)की फसल पक कर तैयार है. इस बार राज्य में धान की फसल(Paddy Crop)ज्यादा रकबे में बोई गई है. विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा पराली उत्पन्न होगी.

 
Pollution: Delhi को नही मिलेगी प्रदुषण से राहत

Stubble Burning in Punjab: हाल के सालों के आंकड़ों को देखते हुए लगता है कि इस साल भी दिल्ली और एनसीआर के लोगों को अगले कई महीनों तक दमघोंटू प्रदूषण झेलना होगा.

 

Stubble Burning Solution: अबकी बार पंजाब में 31.13 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर धान की फसल उगाई गई है. वहीं, 2021 में 29.61 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर धान उगाया गया था. इस बार 19.76 मिलियन टन पराली पैदा होने का अनुमान है जो पिछले साल की तुलना में कहीं अधिक होगी. बता दें कि 2021 में 18.75 मिलियन टर्न पराली पैदा हुई थी,

 

लगभग आधी पराली आग के हवाले करते हैं पंजाब के किसान (Paddy Stubble Burning in Punjab)

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल किसानों ने 14 .17 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर पराली जलाई, जो कुल क्षेत्रफल का 47 फ़ीसदी था.

हालांकि यह साल 2020 में जलाई गई पराली की तुलना में काफी कम था. 2020 में कुल 17.42 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर पराली जलाई गई थी.

 

पराली प्रदूषण रोकने में लग सकते हैं चार पांच साल

Stubble Burning Effects: पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, अभी पंजाब में पराली प्रदूषण रोकने में अगले चार-पांच साल का वक्त लग सकता है. इसके लिए दो बड़े कारण जिम्मेदार माने जा रहे हैं.

एक पराली को कुदरती तौर पर नष्ट करने का बायो डीकंपोजर तरीका ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पाया. वहीं, किसान काफी अरसे से मुआवजे की मांग कर रहे हैं, जो अभी तक फाइलों में उलझा हुआ है.

 

ज्यादा कामयाब नहीं हुआ बायो डिकंपोजर से पराली का निस्तारण

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव करुणेश गर्ग के मुताबिक पिछले 2 सालों से पराली को कुदरती तौर पर नष्ट करने का परीक्षण बायो डीकंपोजर विधि कामयाब नहीं हो पाई है.

 

उन्होंने बताया कि पिछले साल 7000 एकड़ क्षेत्रफल पर पराली को कुदरती तौर पर नष्ट करने के लिए बायो डीकंपोजर का इस्तेमाल किया गया था. 2020-21 में भी पराली को कुदरती तौर पर नष्ट करने के लिए पांच स्थानों पर बायो डीकंपोजेर का इस्तेमाल हुआ था.

 

करुणेश गर्ग के मुताबिक बायो डीकंपोजर विधि से परिणाम ज्यादा उत्साहवर्धक नहीं है. उन्होंने कहा है कि इस पर अभी भी परीक्षण जारी है. अब की बार कृषि विभाग और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय सहित आईएआरआई और कुछ निजी संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में परीक्षण जारी रहेंगे.

 

अब तक आ चुके हैं इतने मामले

पराली जलाने वाले किसानों के प्रति AAP सरकार का रवैया हमेशा नरम रहा है. इस साल अब तक पराली जलाने के कुल 284 मामले सामने आ चुके हैं. अमृतसर और तरनतारन जिलों में बेहिसाब पराली जलाई जा रही है.

 

2021 में आए थे इतने मामले

2021 में पराली जलाने के 71304 मामले दर्ज किए गए थे. सबसे अधिक 8006 मामले संगरूर जिले में दर्ज हुए. केलावा गांव, मोगा, फिरोजपुर, लुधियाना, अमृतसर और तरनतारन में भी जमकर पराली जलाई गई.

उधर जब पराली जलाने के बढ़ते मामलों को लेकर पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के प्रवक्ता मलविंदर सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पराली जलाने के लिए किसानों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

किसानों को अभी तक नहीं मिला मुआवजा

मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार राज्य में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उनको मुआवजा देना चाहती थी. इसका कुछ हिस्सा पंजाब तो कुछ केंद्र को देना था. अब केंद्र सरकार ने अपने हिस्से का मुआवजा देने से इंकार कर दिया.

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