पानीपत के किसान ने उगाए 7 तरह के तरबूज
Haryana Update: देशभर में इन दिनों लोग गर्मी का थर्ड डिग्री टॉर्चर झेल रहे हैं। ऐसे में गर्मी से राहत पाने के लिए हर कोई कोल्डड्रिंक, जूस और रसीले फलों का सहारा ले रहे हैं। गर्मी से सबसे ज्यादा डिमांड मौसमी फल तरबूज का रहता है क्योंकि इससे शरीर में पानी की कमी भी नहीं होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरियाणा के पानीपत में एक या दो नहीं बल्कि 7 प्रकार का तरबूज मिलता है। जहां तरबूज का रंग बाहर से पीला और अंदर से लाल या बाहर से हरा और अंदर से पीला है और एक तरबूज तो ऐसा है कि ही जो अंदर से संतरी रंग का है।

यहां के इन रंग-बिरंगे तरबूजों का स्वाद चखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। किसान रामप्रताप ने कई तरह की ऑर्गेनिक तरबूजों की खेती की है, जिसे शुगर या डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं। इन दिनों ताइवान की नस्ल के इस तरबूज की डिमांड बढ़ती जा रही है। किसान रामप्रताप ने इन तरबूज की वैरायटी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वह पहले से ही 3 किस्म के तरबूज उगा रहे थे लेकिन अबकी बार उन्होंने 7 किस्म के तरबूज उगाए हैं, ताइवान और थाईलैंड की नस्ल है। इन सातों किस्म के तरबूजों की बाजारों में कीमत अलग-अलग मिलती है।

ताइवान की नस्ल जो ऊपर से हरा, अंदर से पीला दिखती है इसका नाम आरोही है, ऊपर से पीला अंदर से लाल दिखने वाले तरबूज का नाम विशाला है और ऊपर से लाइट ग्रीन और अंदर से लाल दिखने वाले तरबूज का नाम जन्नत है। वहीं बाहर से हरा और अंदर से अंतरिम का दिखने वाला तरबूज व अन्य किस्मों के तरबूज उन्होंने अबकी बार ट्रायल के तौर पर लगाए थे जो सफल हुए हैं, हालांकि अभी तक मार्केट में उनके नाम नहीं आए हैं जल्द ही उन किसानों के बीमा मार्केट में नाम आ जाएंगे और वह सभी फल उनके फार्म हाउस पर मिलेंगे।

रामप्रताप ने बताया कि उन्होंने 2019 में ताइवान की नस्ल के बीच ट्रायल के तौर पर अपने खेतों में लगाए थे और उनका यह ट्रायल सफल हुआ। वहीं इजराइल से आए एक डेलिगेशन रामप्रताप की खेती से खुश होकर उन्हें सम्मानित भी किया था। इस बार रामप्रताप ने थाईलैंड के नस्ल के बीज से चार प्रकार की वैरायटी ट्रायल के लिए उगाई है और यह ट्रायल उनका सफल हुआ। अभी इंचार्ज वैरायटी के नाम नहीं रखे गए हैं। यह बाहर से हरा और अंदर से नारंगी नस्ल का तरबूज है। ट्रायल के लिए उगाए गए इस तरबूज की भी अच्छी खासी कीमत रामप्रताप को बाजार में मिल रही है।
किसान रामप्रताप का कहना है कि उनके द्वारा उगाए गए यह तरबूज अन्य तरबूज के मुकाबले ज्यादा मीठे हैं और इन में शुगर की मात्रा कम है। चाहे जितना भी खाओ शुगर का लेवल नहीं बढ़ेगा इसको शुगर के मरीज भी खा सकते हैं। रामप्रताप 1 एकड़ में सिर्फ तरबूज को उगाते हैं और उनके तरबूज की कीमत ₹30 से लेकर ₹50 किलो तक की होती है और वह 1 एकड़ से प्रति वर्ष 4 से ₹5,00,000 मुनाफा कमाते हैं। वह अपने खेतों में 17 तरह की सब्जियां उगाते हैं जो कि उनकी हाथों-हाथ खेतों में ही खरीदने के लिए लोग पहुंच जाते हैं।

वहीं उनके खेत में सब्जी खरीदने आए स्थानीय निवासी विकास ने बताया कि वह खुद शुगर का मरीज है लेकिन वह हर रोज यहां से खाने के लिए तरबूज लेकर जाता है। अधिक मात्रा में खाने के बाद भी उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता और ना ही उनकी शुगर बढ़ती है। खुद खरीदार का भी मानना है कि यह है तरबूज शुगर फ्री है जिनका उनके शरीर को फायदा ही मिलता है, भले ही वह शुगर के मरीज क्यों ना हो।
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